गुरुवार, 13 जनवरी 2011

ध्यान है हिन्दी


लोक का जो उपकार करे

वह नारद वीणा की तान है हिन्दी ।

जो कभी सूखे विराम न ले

वह ही सुरधेनु की थान है हिन्दी ।

जो निज देश से प्यार करे

उसके लिए देश की मान है हिन्दी ।

योगी यती जो समाधि लगाये हुए

बइठे वह ध्यान है हिन्दी ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. ..हिंदी का खूब श्रृंगार किया है आपने।

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  2. लोक का जो उपकार करे

    वह नारद वीणा की तान है हिन्दी....


    जो झट जुबां पर चढ़ बैठे ऐसे मीठे सुर की तान हैं हिंदी

    सरल ,सीधी सुकोमल हर भारतवासी की जान है हिंदी .....

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  3. हाँ कह सकते हैं .....हमारी जान है हिंदी ...सुन्दर रचना ...बधाई

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