बुधवार, 21 मार्च 2012

अंगड़ाई है हिन्दी

है रक्ताभ महावर भू पग 
             सूरज  की   अरुणाई   है   हिन्दी,
जो पथ से भटकी न कभी
             वह भीषम की  तरुणाई है हिन्दी,
पत्थर भी जहाँ मोम बने 
             करुणेश की वो करुणाई है हिन्दी,
अंग अनंग को देवे निमंत्रण 
             नारी  की  वो  अंगड़ाई  है  हिन्दी,     

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