बुधवार, 14 मार्च 2012

कछार है हिन्दी

होते खड़ी हिमवान लगे 

झुकने पर विन्ध्य पहार है हिन्दी . 

पालकी, नालकी ,डोली लगे 

लगती है कभी ये कँहार है हिन्दी 

जो नित रूप नया दिखलाये 

वो पौध है बाग़ बहार है हिन्दी 

कान्हा की काली लगे कमरी 

कभी कूर्म,कलिन्द,कछार है हिन्दी

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