१८
झाड़ पहाड़ से रोके रुके नहीं भागीरथी की रवानी है हिन्दी ।
जो हर नैन में आके बसे वह कुंदन रूप जवानी है हिन्दी ।
शुम्भ - निशुम्भ बिगाड़ न पाये वही रण बिच भवानी है हिन्दी ।
सृष्टि के आदि से है मिलता इतिहास कथा वो कहानी है हिन्दी ।
१९
बाघ जहाँ मृग शावक के संग पानी पिये वह कूल है हिन्दी ।
जाकी सुगन्ध न रोके रुकी वह सृष्टि का पावन फुल है हिन्दी ।
भाषा अनेक समाज के बीच परन्तु सभी की ये मूल है हिन्दी ।
पाथर जीव बना जिससे वह पावँ है पावँ की धूल है हिन्दी ।
अप्रतिम उमाशंकर जी| बधाई|
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक सकारात्मक और लाजवाब लेखन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंमेरी सलाह है कि कई दिन में कई छंद एक साथ लिखने के बजाय रोज मात्र एक छंद पोस्ट करें।