सोमवार, 6 दिसंबर 2010

गोकुल में जहाँ गोप सखा गोपिका गगरी वह गाँव है हिन्दी

छेडे जहाँ मुरली मधुतान तमाल तले सुख छाँव है हिन्दी ।

पार किये जिससे भव वारिधि सुर कबीर वो नाव है हिन्दी।

आके अघाते जहां कवि वृन्द वही निज नागरि ठाँव है हिन्दी ।

2

वेद पुराण बखान करें सोई सोहम - सोहम राम है हिन्दी।

लीला करें यशुदा के लला बरसाने लली का ललाम है हिन्दी।

साम्ब सदा शिव मूरत में शिव दायें दिखे प्रिय वाम है हिन्दी ।

जापे कुदृष्टि लगाये हैं पातकी पावन अच्छर-धाम है हिन्दी ।

गर्वित है जिससे मधुमास वो मादक गन्ध बयार है हिन्दी ।

गोमुख से निकली हुई गंग तरंग भरी रसधार है हिन्दी ।

राणा प्रताप की आन है बान , शिवाजी की ये तलवार है हिन्दी ।

सावन माह सिवान के बीच गिरे नभ से वो फुहार है हिन्दी ।

जाके सहे पर होती ख़ुशी जननी के प्रसव की ये पीर है हिन्दी ।

जा बल ते अति भीषण युध्द में जीत मिले वह धीर है हिन्दी ।

होती ख़ुशी तब आ छलके अंखिया पंखिया वह नीर है हिन्दी ।

वैरी का पौरुष करे वह गाण्डीव पे चढ़ा तीर है हिन्दी ।

5

कौन से गन्ध को ग्राह्य करूं यह जानती है वह घ्राण है हिन्दी ।

लछ्य ही सिर्फ दिखाई पड़े वह पारथ का धनु बाण है हिन्दी ।

डूबे हुए को विपत्ति के बीच बचाये सदा वह त्राण है हिन्दी ।

भारत की यह आतमा है हर भारतवासी की प्राण है हिन्दी ।

हिन्दी की ये प्रियता लखिये रसखान रहीम ने भाखी है हिन्दी ।

स्वाद वही बतला सकता जिसने रस तेरो ये चाखी है हिन्दी ।

लाज रखे बहिनी की सदा उस भाई के हाथ की राखी है हिन्दी ।

जीवन में जो उजाला भरे कबीर की रमैनी है साखी है हिन्दी ।

एक के अर्थ अनेक जहाँ वही शब्द समूह की खान है हिन्दी ।

देव जिसे सनमान से लेवें वही सुरधाम की पान है हिन्दी ।

मंगल काज में खोजे जिसे वह पावन दूब औ धान है हिन्दी ।

लाज बचाने में जो न घटे वह श्याम के हाथ की थान है हिन्दी ।

ऊषा भी लाली रचाये जहाँ वह स्वर्ण की रश्मि विहान है हिन्दी ।

श्वांस को वायु मिले अति शुद्ध प्रच्छन्न जहाँ वो सिवान है हिन्दी ।

ओढें हुए अवनी है जिसे बहुरंगी विशाल वितान है हिन्दी ।

जाको मिटा सकता नहीं कोई वही विधना का विधान है हिन्दी ।

पुष्प से मुक्ति मिली गज को उस फूल से युक्त तड़ाग है हिन्दी ।

कीच के बीच भी जो निर्लेप वो कोमल पुष्प पराग है हिन्दी ।

राग अलाप सुखी सुर साधक वो रस - राग विहाग है हिन्दी ।

जा पे कुबेर का राज भी त्याज्य है नारी बदे वो सुहाग है हिन्दी ।

१०

संस्कृति को इक हार के रूप में जोड़ सके वो कड़ी है हिन्दी।

लेके सहारा चले अन्हरा उस अन्धे के हाथ छड़ी है ये हिन्दी ।

जीवन दान मिले जिससे विष मार सके वो जड़ी है हिन्दी ।

प्यार से भारत माता कहें कि सुनो हमसे भी बड़ी है हिन्दी ।

११

भारत आप में एक शरीर, शरीर के बिच में रीढ़ है हिन्दी ।

है ब्रज भोजपुरी अवधी , मगही बुन्देल की भीड़ है हिन्दी ।

शीर्ष पे जाके जो फूल फले , हिमवान के माथ पे चीड़ है हिन्दी ।

रात में आके बसेरा करे जहाँ पछी समूह वो नीड़ है हिन्दी ।

१२

सागर से नित मोती चुने कवि लेखक वृन्द वो शोध है हिन्दी ।

आखर को पहिचान पढ़े संग अर्थ करें वो सुबोध है हिन्दी ।

गीत , जहाँ नवगीत है ,छन्द है ,गल्प कथा है ,प्रमोद है हिन्दी ।

खेल रहे कवि देव व भूषण केशव मैथिलि गोद है हिन्दी ।

१३

शारद की किरिपा से सदा ठहरी हुई ठौर की ठाट है हिन्दी ।

जो नित नूतन मंजिल पे पहुँचाए सदा वह बाट है हिन्दी ।

धातु भी , रत्न भी अन्न भी, वस्त्र भी दिव्य मिले वह हाट है हिन्दी ।

तृप्ति जहाँ लहरों में मिले वह दिव्य मनोरम घाट है हिन्दी ।

१४

कोयल कुजे जहाँ रस मंजरी लेके वही अमराई है हिन्दी ।

लाख करो पर दूर न हो अपने तन की परछाईं है हिन्दी ।

अम्बर में बदली जइसे छहरा - छहरा छितराई है हिन्दी ।

डूबो तो रत्न ही हाथ लगे रत्नाकर की गहराई है हिन्दी ।

१५

भले किसान अमीर गरीब से युक्त ये गाँव गिराँव है हिन्दी ।

काटे जो डाल उसे भी बिना दुःख पाने सदा ही दे छाँव है हिन्दी ।

पीठ में धुल लगी न कभीं नहीं चित्त हुई वह दाँव है हिन्दी ।

रावण से भी हिलाए हिली नहीं अंगद का वह पाँव है हिन्दी ।

१६

मानव में सविशेष दिखे वह दुर्लभ आँख का पानी है हिन्दी ।

सासुर नैहर में जो रुचे वह पावस चूनर धानी है हिन्दी ।

लाज के पीछे जो प्राण तजे वह जैहर की ठकुरानी है हिन्दी ।

भारत - भू पर राज करे एकछत्र वही महरानी है हिन्दी ।

१७

पूजा करे जिसकी नवरात्र में वो दुरगा सम बाला है हिन्दी ।

जाको सुहागिन प्राण से धारे वो मंगल सूत्र है माला है हिन्दी ।

पीहर से पट डाली के बाबुल द्वार चले वो दुशाला है हिन्दी ।

शाश्वत सत्य सनातन सी यह मीरा के प्रेम का प्याला है हिन्दी ।

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