शनिवार, 16 जून 2012

मेंह है हिन्दी

जों नई तजगी देती चले 
वह भाव से पूरित नेह है हिन्दी , 
देव, मुनी , नर - नाग सभी 
ललचे जिसपे वह देह है हिन्दी ,
कल सबेरे का भुला हुआ ,जहाँ 
लौट के आए वो गेह   है हिन्दी ,
प्यासी हुई धरती के लिए , यह 
जीवन दायक मेंह है हिन्दी 

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