गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

मकरंद है हिन्दी


है कविता नवगीत है गीत ,

अगीत तो काव्य में छंद है कविता ।

एक से एक महाकवि काव्य हैं ,

मुक्तक और प्रबंध है कविता ।

राष्ट्र का प्रेम है नेम है धर्म का ,

सभ्यता का अनुबंध है हिन्दी ।

पौध है , डाल है , पात है , फूल है ,

फूलन में मकरंद है हिन्दी ॥

* * *

देश की रानी है हिन्दी ही भाषा ,

बता गये कामिल फादर हिन्दी ।

आमी नदी के किनारे बना दी

कबीर को पुष्प ये चादर हिन्दी ।

गागर सागर श्रीनटनागर के

व्यवहार में आदर हिन्दी ।

जो बरसे सुखशान्ति समृद्धि के

खातिर ही वह बादर हिन्दी ॥

1 टिप्पणी:

  1. आपका हिंदी का यह समर्पित ब्लॉग कल चर्चामंच पर होगा... आप चर्चामंच पर आयें और अपने विचार दें ... आपने विचारों से अनुग्रहित करें ..धन्यवाद ...
    http://charchamanch.blogspot.com
    http://amritras.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं