सोमवार, 16 जनवरी 2012

समकोण है हिन्दी

है अपने में विशेषता को लिए
अर्जुन का गुरु द्रोण है हिन्दी
धारती चक्र सुदर्शन है कभी
वक्त तले रण-छोड़ है हिन्दी
चाहे जहाँ जिस कोण से देखो
दिखेगी सदा समकोण है हिन्दी
जो नई राह दिखाए सदा वह
जीवन दायिनी मोड़ है हिन्दी

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