शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

वातायन हिन्दी



देव सुनें जिससे नित ध्यान से वेद में साम है गायन हिन्दी ।


नेम से प्रेम से लोग भजे जिसको वह राम रसायन हिन्दी ।





काव्य जिसे करुणा ने जना वह राम का रूप रामायन हिन्दी ।


देती प्रकाश है प्राण को वायु ये ऎसी सुरम्य वातायन हिन्दी ॥

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

वीणा है हिन्दी


दानव , देव , ऋषी -मुनि केलि


करे जिससे वह क्रीड़ा है हिन्दी ।


मानव मात्र में सिर्फ दिखे वह


छूई- मुई जस व्रीड़ा है हिन्दी ।


सृष्टि के साथ से है जिसकी


महिमा वह नारी है ईड़ा है हिन्दी॥


हाथ में लेके जिसे हरषाती


बजाती सरस्वती वीणा है हिन्दी ॥

शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

माथ है हिन्दी


सिर्फ पुकार के देखो इसे

अपनी है अनाथ की नाथ है हिन्दी ।

कर्म ही पूजा है पाठ पढ़ाती ये

कर्मठ के लिए हाथ है हिन्दी ।

अंग इसे नहीं छांट सकोगे ये

आँख है , नाक है , माथ है हिन्दी ।

हिन्दी वगैर अधूरा सभी कुछ

जीवन मृत्यु के साथ है हिन्दी ॥

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

आज है हिन्दी


नाचे लाला छछिया भर छाछ पे

ये उस छाछ की राज है हिन्दी ।

सारा जहान अचम्भित होके

विलोके जिसे वह ताज है हिन्दी ।

काव्य कला कमनीय कलेवर

धारे हुए अभिराज है हिन्दी ।

भूत भविष्य समेटे हुए जो

नवीन दिखे वह आज है हिन्दी ॥

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

आखर ढाई है हिन्दी

कृष्ण दोहावली और गीतावली
जानकी मंगल है यह हिन्दी ।
भारत दुर्दशा , बावन वैष्णव ,
पार्वती मंगल है यह हिन्दी ।
रेणु , श्रीरुद्र , श्रीपुंज, श्रीकुंज ,
श्रीभट्ट, श्रीअंचल है यह हिन्दी ।
प्रेमीहैं, लाल हैं , मिश्र हैं सेठ हैं ,
कंचन , मंगल है यह हिन्दी ॥
* * *
चंचलता का तो नाम न जाने
स्वभाव में सर्वदा थाई है हिन्दी ।
अंक में फूले फले जो सदा
उसके लिए बाप औ माई है हिन्दी ।
राज की लाज बचाने के हेतु
बनी यह पन्ना सी धाई है हिन्दी ।
जाके लिए तरसे दुनिया वह
प्रेम का आखर ढाई है हिन्दी । ।



गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

मकरंद है हिन्दी


है कविता नवगीत है गीत ,

अगीत तो काव्य में छंद है कविता ।

एक से एक महाकवि काव्य हैं ,

मुक्तक और प्रबंध है कविता ।

राष्ट्र का प्रेम है नेम है धर्म का ,

सभ्यता का अनुबंध है हिन्दी ।

पौध है , डाल है , पात है , फूल है ,

फूलन में मकरंद है हिन्दी ॥

* * *

देश की रानी है हिन्दी ही भाषा ,

बता गये कामिल फादर हिन्दी ।

आमी नदी के किनारे बना दी

कबीर को पुष्प ये चादर हिन्दी ।

गागर सागर श्रीनटनागर के

व्यवहार में आदर हिन्दी ।

जो बरसे सुखशान्ति समृद्धि के

खातिर ही वह बादर हिन्दी ॥

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

एक नया यह दौर है हिन्दी

दुःख इसे इस बात का है
अपने ही जनों से ये हारी है हिन्दी ।
कोमल है कश्मीर की वादी में
केशर की यह क्यारी है हिन्दी ।
निर्मल नारी स्वभाव लिए
नमिता से भरी यह नारी है हिन्दी ।
पिंगल शास्त्र , पुराण की पंक्ति है
वेद ऋचा सी ये प्यारी है हिन्दी ॥
* * *
भारत का जो निवासी बने
उसके लिए भाई का भात है हिन्दी ।
जो दुःख दर्द में आके खडा
दिन रात रहे वह नात है हिन्दी ।
जो सदा विष्णु के ऊपर राजे
वही तुलसीदल पात है हिन्दी ।
जो तम भेद प्रकाश का पुंज दे
वो सुखदायी प्रभात है हिन्दी ॥
* * *
औध की और बुन्देल की और तो ,
पूरब पश्चिम और है हिन्दी ।
तोता आ खोता लगावे जहां ,
वह आम्र का मादक बौर है हिन्दी ।
कागा ले भागा जो श्याम के हाथ से
रोटी का पावन कौर है हिन्दी ।
शोध पे शोध नए नित हो रहे ,
एक नया यह दौर है हिन्दी ॥


शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

हरषा रही हिन्दी


सारथी कृष्ण बने महाभारत

युद्ध में है यह स्यंदन हिन्दी ।

भाग सके न कहीं मन मादक

प्रीत का है यह बंधन हिन्दी ।

लाख भुजंग लपेटे हों शीतल

गंध न छाडे है चन्दन हिन्दी ।

हैं वन बाग अनेक परन्तु

जिसे कहते वह नंदन हिन्दी ।।

जो इसे दूर से देख रहे

उनको भले ही तरसा रही हिन्दी ।

है इतनी ये उदार की प्यार से

प्रेम - सुधा बरसा रही हिन्दी ।

नित्य नया - नया रूप लगे

रमणीयता को दरसा रही हिन्दी ।

हारी नहीं कभी शत्रुओं से

हिय खोल सदा हरषा रही हिन्दी ।

गुरुवार, 27 जनवरी 2011

रमैनी है साखी है हिन्दी


हिन्दी की ये प्रियता लखिए

रसखान रहीम ने भाखी है हिन्दी ।

स्वाद वही बतला सकता जिसने

रस तेरो ये चाखी है हिन्दी ।

लाज रखे बहिनी की सदा

उस भाई के हाथ की राखी है हिन्दी ।

जीवन में जो उजाला भरे

कबिरा की रमैनी है साखी है हिन्दी ॥

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

प्रणीता है हिन्दी


पावन रूप सुरूप लिए ,

लिए ग्रन्थ अनेक पुनीता है हिन्दी ।

नीति अनीति दिखाती हुई

भगवान के श्रीमुख गीता है हिन्दी ।

जो सुख सेज न जानी कभी

वह ही सिरीराम की सीता है हिन्दी ।

यज्ञ है यज्ञ की वेदी , स्रुवा स्रुचि

प्रोक्षनी और प्रणीता है हिन्दी ॥

शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

सीता की अग्नि परीक्षा है हिन्दी


शक्ति प्रवाहित है करती

हरती तम को वह तार है हिन्दी ।

जो हिम से चली सागर लों

नहीं टूटी कभी वह धार है हिन्दी ॥

भारत माँ के गले में सुशोभित

हो रहा जो वह हार है हिन्दी ॥

जीवन जीवन सा लगता नहीं

जाके विना वह सार है हिन्दी ॥

सातों है रंग भरा हुआ इन्द्र का

ईश्वर की यह इच्छा है हिन्दी

भोले के भाल पे राजत हाथ के

खप्पर में यह भिक्षा है हिन्दी ।

है गुरुता गुरु द्रोण लिए

एकलव्य की निष्ठित शिक्षा है हिन्दी ।

सीता सी है निर्दोष परन्तु

ये सीता की अग्नि परीक्षा है हिन्दी ॥

बुधवार, 19 जनवरी 2011

वेद रिचा सी ये प्यारी है हिन्दी


भारत का जो निवासी बने

उसके लिए भाई का भात है हिन्दी ।

जो दुःख दर्द में आके खड़ा

दिन रात रहे वह नात है हिन्दी ।

जो सदा विष्णु के ऊपर राजे

वही तुलसी दल पात है हिन्दी ।

जो तम भेद प्रकाश का पुंज दे

वो सुखदायी प्रभात है हिन्दी ।

दुःख इसे इस बात का है

अपने ही जनों से ये हारी है हिन्दी ।

कोमल है कश्मीर की वादी में

केशर की यह क्यारी है हिन्दी ।

निर्मल नारी स्वभाव लिए

नमिता से भरी यह नारी है हिन्दी ।

पिंगलशास्त्र, पुराण की पंक्ति है

वेद ऋचा सी ये प्यारी है हिन्दी ।

शनिवार, 15 जनवरी 2011

कृष्ण दीवानी ये मीरा है हिन्दी


धारी हुई गुण रूप अपार है

शास्त्रीय नायिका धीरा है हिन्दी ।

भारत माँ की अनामिका की

मुंदरी में जड़ी यह हीरा है हिन्दी ।

साहस धैर्य समेटे हुए यह

आयुषी है बलबीरा है हिन्दी ।

राधा कभी अनुराधा कभी

कभी कृष्ण दिवानी ये मीरा है हिन्दी ॥

गुरुवार, 13 जनवरी 2011

ध्यान है हिन्दी


लोक का जो उपकार करे

वह नारद वीणा की तान है हिन्दी ।

जो कभी सूखे विराम न ले

वह ही सुरधेनु की थान है हिन्दी ।

जो निज देश से प्यार करे

उसके लिए देश की मान है हिन्दी ।

योगी यती जो समाधि लगाये हुए

बइठे वह ध्यान है हिन्दी ।

गुरुवार, 6 जनवरी 2011

बिन्दी है हिन्दी


आत्मबली मरते न कभी इस

कारण आज लौ जिन्दी है हिन्दी ।

डोंगरी औ' बंगला, उड़िया औ'

नेपाली, मराठी, औ' सिन्धी है हिन्दी ।

कालिय नाग जहाँ हुआ मर्दित

पावन नीर कलिन्दी है हिन्दी ।

भारत माता इसे नित साजत

भाल पे राजत बिन्दी है हिन्दी ।