हिन्दी
हिन्दी की ये प्रियता लखिए
रसखान रहीम ने भाखी है हिन्दी ।
स्वाद वही बतला सकता जिसने
रस तेरो ये चाखी है हिन्दी ।
लाज रखे बहिनी की सदा
उस भाई के हाथ की राखी है हिन्दी ।
जीवन में जो उजाला भरे
कबिरा की रमैनी है साखी है हिन्दी ॥
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