शक्ति प्रवाहित है करती
हरती तम को वह तार है हिन्दी ।
जो हिम से चली सागर लों
नहीं टूटी कभी वह धार है हिन्दी ॥
भारत माँ के गले में सुशोभित
हो रहा जो वह हार है हिन्दी ॥
जीवन जीवन सा लगता नहीं
जाके विना वह सार है हिन्दी ॥
सातों है रंग भरा हुआ इन्द्र का
ईश्वर की यह इच्छा है हिन्दी ।
भोले के भाल पे राजत हाथ के
खप्पर में यह भिक्षा है हिन्दी ।
है गुरुता गुरु द्रोण लिए
एकलव्य की निष्ठित शिक्षा है हिन्दी ।
सीता सी है निर्दोष परन्तु
ये सीता की अग्नि परीक्षा है हिन्दी ॥
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