बुधवार, 19 जनवरी 2011

वेद रिचा सी ये प्यारी है हिन्दी


भारत का जो निवासी बने

उसके लिए भाई का भात है हिन्दी ।

जो दुःख दर्द में आके खड़ा

दिन रात रहे वह नात है हिन्दी ।

जो सदा विष्णु के ऊपर राजे

वही तुलसी दल पात है हिन्दी ।

जो तम भेद प्रकाश का पुंज दे

वो सुखदायी प्रभात है हिन्दी ।

दुःख इसे इस बात का है

अपने ही जनों से ये हारी है हिन्दी ।

कोमल है कश्मीर की वादी में

केशर की यह क्यारी है हिन्दी ।

निर्मल नारी स्वभाव लिए

नमिता से भरी यह नारी है हिन्दी ।

पिंगलशास्त्र, पुराण की पंक्ति है

वेद ऋचा सी ये प्यारी है हिन्दी ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें