भारत का जो निवासी बने
उसके लिए भाई का भात है हिन्दी ।
जो दुःख दर्द में आके खड़ा
दिन रात रहे वह नात है हिन्दी ।
जो सदा विष्णु के ऊपर राजे
वही तुलसी दल पात है हिन्दी ।
जो तम भेद प्रकाश का पुंज दे
वो सुखदायी प्रभात है हिन्दी ।
दुःख इसे इस बात का है
अपने ही जनों से ये हारी है हिन्दी ।
कोमल है कश्मीर की वादी में
केशर की यह क्यारी है हिन्दी ।
निर्मल नारी स्वभाव लिए
नमिता से भरी यह नारी है हिन्दी ।
पिंगलशास्त्र, पुराण की पंक्ति है
वेद ऋचा सी ये प्यारी है हिन्दी ।
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