आनन को अतिरंजित जो करती
वह आँख की कोर है हिन्दी।
दूर हो दो दिल पास लगे,
वह नेह है, नेह की डोर है हिन्दी।
जो अनजाने में चित्त चुराये
बेहाल करे चित चोर है हिन्दी ।
स्वर्ग से श्रेष्ठ अमूल्य लगे
वह भारत भूमि है, भोर है हिन्दी।
वह आँख की कोर है हिन्दी।
दूर हो दो दिल पास लगे,
वह नेह है, नेह की डोर है हिन्दी।
जो अनजाने में चित्त चुराये
बेहाल करे चित चोर है हिन्दी ।
स्वर्ग से श्रेष्ठ अमूल्य लगे
वह भारत भूमि है, भोर है हिन्दी।