लोग इसे समझे न भले पर
शंकरसी अविनाशी है हिन्दी .
लोक से ऊपर है भवलोक
त्रिलोक से न्यारी ये काशी है हिन्दी
चाहे कभी भी पुकारो इसे
कह दोगे स्वयं मृदुभाषी है हिन्दी
बहर जाकर देखो लगेगा
- जहाँ में कहीं भी प्रवासी है हिन्दी
हिन्दी