जो यमपास से खींच के लायी
पती को उसी का सतीत्व है हिन्दी .
जो कवि - कर्म कथा लिख डाले
उन्हीं ऋषियों का कृतित्व है हिन्दी .
हिन्दी के नाम पे कोष भरें
उनके लिए एक वृतित्व है हिन्दी .
कोई संदेह नहीं इसमें यह
भारत का अस्तित्व है हिन्दी ..
लोग इसे समझें न भले पर
शंकर सी अविनासी है हिन्दी .
लोक से ऊपर है भवलोक
त्रिलोक से न्यारी ये काशी है हिन्दी .
चाहे कभी भी पुकारो इसे
कह दोगे स्वयं मृदुभाषी है हिन्दी .
बाहर जाकर देखो लगेगा
जहाँ में कहीं भी प्रवासी है हिन्दी ..
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