रविवार, 18 मार्च 2012

मेवाड़ है हिन्दी . .

साधु जरा भी न हों भयभीत 
असाधु निमित्त तिहाड़ है हिन्दी.
भारत को घर मानिए आप 
ये रक्षक रूप किवाड़ है हिन्दी . 
जा भय ते सभी जंगली जीव 
डरें वह शेर -दहाड़ है हिन्दी . 
वीरता की यदि बात उठे उस 
काल लगे ये मेवाड़ है हिन्दी . . 
 

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