है रक्ताभ महावर भू पग
सूरज की अरुणाई है हिन्दी,
जो पथ से भटकी न कभी
वह भीषम की तरुणाई है हिन्दी,
पत्थर भी जहाँ मोम बने
करुणेश की वो करुणाई है हिन्दी,
अंग अनंग को देवे निमंत्रण
नारी की वो अंगड़ाई है हिन्दी,