हिन्दी : डॉ.उमाशंकर चतुर्वेदी 'कंचन'
हिन्दी
बुधवार, 24 अप्रैल 2013
प्रवासी है हिन्दी
लोग इसे समझे न भले पर
शंकरसी अविनाशी है हिन्दी .
लोक से ऊपर है भवलोक
त्रिलोक से न्यारी ये काशी है हिन्दी
चाहे कभी भी पुकारो इसे
कह दोगे स्वयं मृदुभाषी है हिन्दी
बहर जाकर देखो लगेगा
जहाँ में कहीं भी प्रवासी है हिन्दी
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